मैं तेरे इश्क की रहगुज़र नहीं जो यूँ ही गुज़र जाऊँ,
तुम्हें पता है जन्नत क्या है? बतलाऊँ तुम्हें तो सुनों..
मेरे लिये तुम्हें देखना,
तुम्हें महसूस करना,
तुम्हें हर वक्त जानना,
तुमसे किसी ना किसी बहाने से बात करना ही,
मेरे लिये जन्नत है...
अब तुम सोचोगें कि इस ज़माने में भी ऐसे इश्क करने वाले लोग होते है?
तो सुनो..
ज़माना कैसा भी क्यूँ ना हो,
लोग कितने भी बदले हुये क्यूँ ना हो इश्क करने वालो के लिये
ज़माने, बदले हुये लोगों से मतलब नहीं
वो तो सिर्फ़ अपने इश्क में मशगूल रहते है,
वो तो सिर्फ़ अपनी मोहब्बत में डूबे रहते है,
समझ आया ना!!!मैं तेरे इश्क की रहगुज़र नहीं,
तुम्हें महसूस करना,
तुम्हें हर वक्त जानना,
तुमसे किसी ना किसी बहाने से बात करना ही,
मेरे लिये जन्नत है...
अब तुम सोचोगें कि इस ज़माने में भी ऐसे इश्क करने वाले लोग होते है?
तो सुनो..
ज़माना कैसा भी क्यूँ ना हो,
लोग कितने भी बदले हुये क्यूँ ना हो इश्क करने वालो के लिये
ज़माने, बदले हुये लोगों से मतलब नहीं
वो तो सिर्फ़ अपने इश्क में मशगूल रहते है,
वो तो सिर्फ़ अपनी मोहब्बत में डूबे रहते है,
समझ आया ना!!!मैं तेरे इश्क की रहगुज़र नहीं,
जो यूँ ही गुज़र जाऊँ...
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