हां उमस है आज,
बेहद उमस है
है कोई रूठा
कोई है खामोश
जाने कितने लफ्जों से
जाने किन बातों से
जाने किन वादों से
चंचलता को कैद कर रखा है
हंसी सदियों से दस्तक देती है
मगर उदासी की दीवार खड़ी है
बस खामोशी का लिबास पहने
आज नहीं,
एक अरसे से शायद
ये भाव नहीं स्वाभाव है उसका
वह आदतों से
या आदतें उससे मजबूर
उम्मीद नहीं करता वह
शायद नाउम्मीदी उसकी जाहिद
लफ्ज़ों को बंद कर रखा उस ताख में
जो चीखती है, शोर करती है
सुन ले मगर
वह फिक्र से बेफिक्र है
लब और लफ्ज़ों से कोसों दूर
हां उमस है आज
बेहद उमस...
बेहद उमस है
है कोई रूठा
कोई है खामोश
जाने कितने लफ्जों से
जाने किन बातों से
जाने किन वादों से
चंचलता को कैद कर रखा है
हंसी सदियों से दस्तक देती है
मगर उदासी की दीवार खड़ी है
बस खामोशी का लिबास पहने
आज नहीं,
एक अरसे से शायद
ये भाव नहीं स्वाभाव है उसका
वह आदतों से
या आदतें उससे मजबूर
उम्मीद नहीं करता वह
शायद नाउम्मीदी उसकी जाहिद
लफ्ज़ों को बंद कर रखा उस ताख में
जो चीखती है, शोर करती है
सुन ले मगर
वह फिक्र से बेफिक्र है
लब और लफ्ज़ों से कोसों दूर
हां उमस है आज
बेहद उमस...
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