14 तारीख से 18 तारीख तक मध्यप्रदेश के उमरिया में विंध्य मैकल लोकरंग की धूम रही| यह बताने में हमको बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं भी इस लोकरंग का हिस्सा रही। ये बहुत ही अलग सा और शानदार अनुभव रहा। एक ओर जहां लोकरंग से जुड़ी बारीकियों को पास से जाना वहीं रंगमंच से जुड़े सभी कलाकारों से मिलना, उनसे बात करना, उनके कल्चर को नजदीक से महसूस करना।
साथ ही साथ #विंध्य मैकल की पूरी टीम से मिलना, अलग अलग डिपार्टमेंट के होने के साथ, अपने काम के प्रति समर्पित और फुल टू एनर्जी के साथ काम करना, माहौल को लाईट करने के लिये मस्ती करना...
सबसे अजीब बात ये थी कि हम इस कार्यक्रम में जाना नहीं चाहते थे और उमरिया जैसी जगह तो बिल्कुल भी नहीं, कि अरे यार वहां कैसे जायेंगे १० घन्टे का सफर कैसे कटेगा, एक दिन की बात होती तो चलता भी मगर ५ दिन नहीं!! मगर नीरज भईया जिनको हम ना जाने कबसे और कितने प्रोग्राम को टालते आये नहीं भईया हम नहीं आयेंगे पर देखो, फाईनली वो दिन भी आया कि जाना पड़ा और वहां पर 1 दिन क्या 5 दिन रूकना पड़ा अब लग रहा कि अरे सिर्फ़ 5 दिन ही क्यूँ कम से कम 10 दिन का प्रोग्राम तो होना ही चाहिए था।
लोकरंग के कल्चर वहां की जनजातियां उनके नृत्य जैसे बैंगा, शैल, विरहा परधौनी, करमा, डंडा शैल, गुदुम्ब नृत्य आदि को देखना अलग ही अनुभव रहा, क्यूँ कभी किताब में इनमें एक दो जातियों के नाम ही पढ़े थे, मगर अब इनको देख भी लिया।
सबसे खास बात होती है कि आप चाहे किसी भी फील्ड के क्यूँ ना हो, मगर आप में ये बात होनी चाहिए कि आप हर किरदार को जिये चाहे वो छोटा हो या बड़ा, और यही बात आपको खास बनाती है। इस अनुभव के लिये नीरज भईया थैंक्यू सो मच्चच....साथ ही वहां मौजूद सीधी टीम #प्रवीन भईया, #सुभाष काका, #नरेंद्र सर, #राहुल, #माईम भईया, #कुमारगौरव भईया, #पंकज सर, #अशोक भईया, #संतोष सर आभार ।( कुछ के नाम याद नहीं)साथ ही साथ #लता दी, #कविता दी, #करूणा, #नेहा दी, #दीप धन्यवाद...
साथ ही साथ #विंध्य मैकल की पूरी टीम से मिलना, अलग अलग डिपार्टमेंट के होने के साथ, अपने काम के प्रति समर्पित और फुल टू एनर्जी के साथ काम करना, माहौल को लाईट करने के लिये मस्ती करना...
सबसे अजीब बात ये थी कि हम इस कार्यक्रम में जाना नहीं चाहते थे और उमरिया जैसी जगह तो बिल्कुल भी नहीं, कि अरे यार वहां कैसे जायेंगे १० घन्टे का सफर कैसे कटेगा, एक दिन की बात होती तो चलता भी मगर ५ दिन नहीं!! मगर नीरज भईया जिनको हम ना जाने कबसे और कितने प्रोग्राम को टालते आये नहीं भईया हम नहीं आयेंगे पर देखो, फाईनली वो दिन भी आया कि जाना पड़ा और वहां पर 1 दिन क्या 5 दिन रूकना पड़ा अब लग रहा कि अरे सिर्फ़ 5 दिन ही क्यूँ कम से कम 10 दिन का प्रोग्राम तो होना ही चाहिए था।
लोकरंग के कल्चर वहां की जनजातियां उनके नृत्य जैसे बैंगा, शैल, विरहा परधौनी, करमा, डंडा शैल, गुदुम्ब नृत्य आदि को देखना अलग ही अनुभव रहा, क्यूँ कभी किताब में इनमें एक दो जातियों के नाम ही पढ़े थे, मगर अब इनको देख भी लिया।
सबसे खास बात होती है कि आप चाहे किसी भी फील्ड के क्यूँ ना हो, मगर आप में ये बात होनी चाहिए कि आप हर किरदार को जिये चाहे वो छोटा हो या बड़ा, और यही बात आपको खास बनाती है। इस अनुभव के लिये नीरज भईया थैंक्यू सो मच्चच....साथ ही वहां मौजूद सीधी टीम #प्रवीन भईया, #सुभाष काका, #नरेंद्र सर, #राहुल, #माईम भईया, #कुमारगौरव भईया, #पंकज सर, #अशोक भईया, #संतोष सर आभार ।( कुछ के नाम याद नहीं)साथ ही साथ #लता दी, #कविता दी, #करूणा, #नेहा दी, #दीप धन्यवाद...
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