हमें नहीं मालूम कि
प्रेम क्या है
शायद समझ भी नहीं आनी चाहिए
इसकी गहराई,
जितना सोचोगे
प्रेम भी मिलेगा
उतना ही समझ से परे
जाने कितने किस्से
कितने ज़ुमले मिलेंगे
इस प्रेम के
इसीलिए प्रेम को कभी
जानो ही मत
सिर्फ़ महसूस करो
प्रेम प्रदर्शित नहीं, अहसास की चीज़ है
जिस पर लोग फब्तियां कसे,
जिस को लोग हेय दृष्टि से देखे,
कितना अजीब हैना ये प्रेम
जो कभी आपसे सुबूत नहीं मांगता,
जो कभी उम्मीद नहीं करता,
जो कभी बंदिशें नहीं लगाता,
वो तो आज़ाद करता है
उस दुनिया से
जिसमें प्रेम छोड़
शायद सबकुछ होता है,
प्रेम समर्पण है,
प्रेम त्याग है,
मगर शायद ज़माने ने,
ज़माने के लोगों ने
अपने मनोरंजन के लिये
प्रेम ज़ुमला को जुमला बना डाला
जिसपर सब
अपनी प्रेम कहानियाँ,
अपना प्रेम अनुभव,
अपना क्रोध निकालते है
मगर फिर भी प्रेम खामोश है
शायद उसे बेज़ुबान रहना पसंद है
प्रेम की कोई बोलती भाषा नहीं
सिर्फ़ भावना होती है
भावनायें सुनती है
समझती है
और महसूस करती है
भावनायें अपनी टीस
निकालना चाहती है
गुस्से से
अपमान से
ज़हर बोलकर मगर
प्रेम रोकता है
क्यूँ कि प्रेम समझाता नहीं
वो तो समझ जाता है