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Sunday 27 November 2016

दुनिया वाले

दुनिया बड़ी शातिर है 
और उससे भी ज़ियादा
दुनियावाले,
नीम दिल में 
और 
शहद दिमाग में लिये फिरते है
फिक्र और फर्क की
इस जद्दोजहद में
रोज़ नये-नये किरदार
बदलते रहते है
मोहब्बत के बनते घोंसलों को
देखकर
ना जाने साज़िशों की
नज़रों से उन्हें तोड़ते रहते है
सच को देखकर 
अनदेखी 
और
झूठ को अपना ईमान बनाकर
दुनिया को गुमराह करते रहते है

औरत

औरत
तुम्हें दया
तुम्हें सहनशील
तुम्हें जिस्म की पुड़िया
की मिसाल नहीं दूँगी
तुम हमेशा लफ्ज़ों से
मिसरी घोलो भी नहीं कहूँगी
चरित्रहीनता पर सिर्फ़ तुम्हारा अधिकार है
ये भी मैं नहीं कहूंगी
तुम्हीं हमेशा ओछी परंपराओं में 
शिरकत लो नहीं कहूँगी
घर की इज्ज़त सिर्फ़ 
एक स्त्री, औरत, लड़की के हाथों में ही रहती है
तुम पे ये दोगली बातें भी नहीं थोपूंगी
तुम आज़ाद हो इन दकियानूसी नियमों से
तुम सिर्फ़ विलासिता की वस्तु नहीं
ना ही तुम हर वक्त सजने वाला फरेबी श्रृंगार
और ना ही तुम उन क्षणिक प्रेमियों की 
क्षणिक प्रेमिका हो जो सिर्फ़ कुछ वक्त तक साथ रहे
तुम हो इस धरती पर
इस समाज में
एक उड़ती चिड़िया
जो उड़ना जानती है
ठहरना जानती है,
अपने सपनों को जीना जानती है
जो आज़ाद है
इन खोटी बंदिशों से
जिनके ऊपर
पंख को फैलाना जानती है
तुमसे सिर्फ़ विनती है कि
कभी झूठी परंपराओं का चोला नहीं अोढ़ना
कभी खुद को खूबसूरती के पैमाने पर मत तौलना
जो खुद खोखले हो वो तुम्हें
हर युग,
हर सदी में
हर राह पर
तुम्हारे विचारों से
तुम्हारी चाल से
तुम्हारे रंग रूप से
तुम्हें मापेंगे
पर याद रखना
तुम कठपुतली नहीं इनकी
जिनकी डोर खुद ऊपरवाले के हाथों में है

Friday 11 November 2016

दो नई कवितायेँ : दस्तक और दिल ए दिमाग

दस्तक 

अजीब है ये इन्तज़ार भी

मालुम है तुम कभी वापस नहीं लौटोगे

तुम मौसम तो नहीं

जो हर बार अपने वायदों को

निभाने लौट आता है

तुम मेरे लिये सख्त शख्स भी नहीं

ना ही मैं वक़र तुम्हारे लिये!

फिर भी मेरी शिथिल आँखें

इन्तज़ार करती है

हम दोनों की

रंजिशों की उन सड़कों पर

शायद तुम रंजिश करते करते थक जाओ फिर तुम इश्क के बाग में दस्तक देने आयोगे

मोहब्बत के तमाम दस्तावेजों के साथ

मेरे अकेलेपन की सांय सांय को महसूस करने...


दिल ए दिमाग

दिये सा दिल

जिसकी लौ धीरे धीरे

धधकती रहती है

इंतज़ार में...

और दिमाग

आग सा जलता है

इंतकाम में

इक नादान दिल है

जो ज़ाहिद की गलतियों को

माफ कर देता है

हर बार

और इक दिमाग

जो शायद साज़िशे करता है

बर्बाद करने के लिए

जीत के जश्न

खुद की खुशी के लिये

दिल की खुशबू को ख़त्म कर देता है

कै़द कर दिल की भावनाओं को

दिलचस्पी से मु़आना करता है

मगर दिल बड़ा ही दिलचस्प शख्स है

जो लफ्ज़ो से खामोश

उम्मीद की उम्र को बढ़ाता

विश्वास के साथ

शायद दिल और दिमाग की

जंग में दोनों अलग नहीं

एक हो जाये।।