औरत
तुम्हें दया
तुम्हें सहनशील
तुम्हें जिस्म की पुड़िया
की मिसाल नहीं दूँगी
तुम हमेशा लफ्ज़ों से
मिसरी घोलो भी नहीं कहूँगी
चरित्रहीनता पर सिर्फ़ तुम्हारा अधिकार है
ये भी मैं नहीं कहूंगी
तुम्हीं हमेशा ओछी परंपराओं में
तुम्हें दया
तुम्हें सहनशील
तुम्हें जिस्म की पुड़िया
की मिसाल नहीं दूँगी
तुम हमेशा लफ्ज़ों से
मिसरी घोलो भी नहीं कहूँगी
चरित्रहीनता पर सिर्फ़ तुम्हारा अधिकार है
ये भी मैं नहीं कहूंगी
तुम्हीं हमेशा ओछी परंपराओं में
शिरकत लो नहीं कहूँगी
घर की इज्ज़त सिर्फ़
घर की इज्ज़त सिर्फ़
एक स्त्री, औरत, लड़की के हाथों में ही रहती है
तुम पे ये दोगली बातें भी नहीं थोपूंगी
तुम आज़ाद हो इन दकियानूसी नियमों से
तुम सिर्फ़ विलासिता की वस्तु नहीं
ना ही तुम हर वक्त सजने वाला फरेबी श्रृंगार
और ना ही तुम उन क्षणिक प्रेमियों की
तुम पे ये दोगली बातें भी नहीं थोपूंगी
तुम आज़ाद हो इन दकियानूसी नियमों से
तुम सिर्फ़ विलासिता की वस्तु नहीं
ना ही तुम हर वक्त सजने वाला फरेबी श्रृंगार
और ना ही तुम उन क्षणिक प्रेमियों की
क्षणिक प्रेमिका हो जो सिर्फ़ कुछ वक्त तक साथ रहे
तुम हो इस धरती पर
इस समाज में
एक उड़ती चिड़िया
जो उड़ना जानती है
ठहरना जानती है,
अपने सपनों को जीना जानती है
जो आज़ाद है
इन खोटी बंदिशों से
जिनके ऊपर
पंख को फैलाना जानती है
तुमसे सिर्फ़ विनती है कि
कभी झूठी परंपराओं का चोला नहीं अोढ़ना
कभी खुद को खूबसूरती के पैमाने पर मत तौलना
जो खुद खोखले हो वो तुम्हें
हर युग,
हर सदी में
हर राह पर
तुम्हारे विचारों से
तुम्हारी चाल से
तुम्हारे रंग रूप से
तुम्हें मापेंगे
पर याद रखना
तुम कठपुतली नहीं इनकी
जिनकी डोर खुद ऊपरवाले के हाथों में है
तुम हो इस धरती पर
इस समाज में
एक उड़ती चिड़िया
जो उड़ना जानती है
ठहरना जानती है,
अपने सपनों को जीना जानती है
जो आज़ाद है
इन खोटी बंदिशों से
जिनके ऊपर
पंख को फैलाना जानती है
तुमसे सिर्फ़ विनती है कि
कभी झूठी परंपराओं का चोला नहीं अोढ़ना
कभी खुद को खूबसूरती के पैमाने पर मत तौलना
जो खुद खोखले हो वो तुम्हें
हर युग,
हर सदी में
हर राह पर
तुम्हारे विचारों से
तुम्हारी चाल से
तुम्हारे रंग रूप से
तुम्हें मापेंगे
पर याद रखना
तुम कठपुतली नहीं इनकी
जिनकी डोर खुद ऊपरवाले के हाथों में है
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