हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पर दम निकले,बहुत निकले मेरे अरमान फिर भी कम निकले...
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Thursday 5 January 2017
चलो एक काम करें ..
बारिशों की तरह बरसती है आँखें आओ इनको कोई नाम दिया जाए सांसों की शाम कब ठहर जाए आओ इनको किसी के नाम किया जाए किनारें ठहरे हम नदियों के चलो मिलकर कोई अंजाम दिया जाए अश्क भी साथी लफ्ज़ भी साथी क्यूँ ना इश्क की परछाई को कैद किया जाए
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