दुनिया की सबसे खूबसूरत रचना
जो कभी साथ नहीं छोड़ती
जिसको खोने का कोई डर नहीं
डर होता है महज
सिर्फ़ क्षणभंगुर खुशियों से
जो कभी दो पल भी नहीं ठहरती
सदियों से साथ है
हमारा और उदासियों का
जब से तुमने
दो कदम साथ चलने के
वादे से कदम पीछे खींचा
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पर दम निकले,बहुत निकले मेरे अरमान फिर भी कम निकले...
डर होता है महज
सिर्फ़ क्षणभंगुर खुशियों से
जो कभी दो पल भी नहीं ठहरती
सदियों से साथ है
हमारा और उदासियों का
जब से तुमने
दो कदम साथ चलने के
वादे से कदम पीछे खींचा