सुनो!
मेरे पास तुम्हारे लिए कोई उपहार तो नहीं है
लेकिन है मेरे पास शब्दों की वो बेल है
मेरे पास तुम्हारे लिए कोई उपहार तो नहीं है
लेकिन है मेरे पास शब्दों की वो बेल है
जिसको पिरोती हूँ मैं,
रोज़ दर रोज़
मालुम है ये मुझे
कि तुमको नहीं होगा यकीं
मेरी पिरोयी गई उस बेल पर
क्यूँ कि तुममे कहीं ना कहीं
नीम की कड़वाहट जन्म ले चुकी है!
रोज़ दर रोज़
मालुम है ये मुझे
कि तुमको नहीं होगा यकीं
मेरी पिरोयी गई उस बेल पर
क्यूँ कि तुममे कहीं ना कहीं
नीम की कड़वाहट जन्म ले चुकी है!
कड़वाहट की उम्र ज्यादा
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